दिव्या खोसला कुमार के निर्देशन में बनी फिल्म यारियां 9 साल पहले रिलीज हुई थी। अब आज इस फिल्म की सिक्वल रिलीज हुई है। चलिए जानते हैं कैसी है फिल्म!
क्या है फिल्म की कहानी?
फिल्म के कहानी की बात करें, तो ये शिमला में रहने वाले तीन कजन्स की है, जिसमें लाड़ली छिब्बर(दिव्या खोसला कुमार) ब्यूटी क्वीन बनना चाहती है, मगर उसकी मां (लिलेट दुबे) उसका घर बसाने की ख्वाहिश रखती है। लाड़ली जहां अपनी मां की इच्छा पर शादी करके अपने सपनों से समझौता कर लेती है और मुंबई आ जाती है, वहीं उसका कजन शिखर रंधावा (मीजान जाफरी) बाइक रेसर के रूप में आजीवन प्रतिबंध का दंश झेल रहा और साथ ही उसे अपने पिता की नफरत का सामना भी करना पड़ता है। इन सबसे दूर वह भागकर मुंबई आ जाता है। इनका दूसरा कजन बजरंग (पर्ल पुरी) भी माता-पिता की इच्छा के मुताबिक कॉर्पोरेट नौकरी के लिए मुंबई की ही शरण लेता है। भाई-बहन के अटूट बंधन में बंधे तीनों कजन्स की जिंदगी मुंबई आकर पूरी तरह से बदल जाती है। लाड़ली को पता चलता है कि उसका बिजनेसमैन पति अपनी पूर्व प्रेमिका के प्यार में डूबा हुआ है। बजरंग को प्यार में धोखा मिलता है, तो मीजान का दिल भी भी टूटता है। फिर कहानी आगे बढ़ती है और आगे क्या होता है यह जानने के लिए देखें फिल्म यारियां 2!
कैसी है कलाकारों की एक्टिंग?
फिल्म में दिव्या खोसला कुमार ने लाडली का किरदार बखूबी निभाया है। एक पंजाबी लड़की का बड़े शहर में मैच्योर किरदार में दिव्या का अभिनय सराहनीय है। मिजान जाफरी ने भी अपने किरदार के साथ न्याय किया है। ये कहना गलत नहीं होगा कि दिव्या और मिजान ने ही फिल्म की कमान संभाली है। पर्ल वी पुरी का काम भी ठीक ठीक रहा है। वहीं यशदास गुप्ता की अदाकारी कहीं कहीं ढीली नजर आई है।
कैसा है फिल्म का निर्देशन?
निर्देशन गजब का है। कहानी को ज्यों का त्यों स्क्रीन पर पेश किया गया है। यूथ ओरियंटेड फिल्म होने के कारण कोई भी ऐसा सीन फिल्म में दिखाई नहीं देता, जो यूथ के साथ जुड़ता न हो। राधिका राव और विनय सप्रु ने कहीं भी फिल्म को कमजोर नहीं पड़ने दिया।
रिव्यू
‘यारियां 2′ साउथ की बैगलोर डेज का हिंदी रिमेक है। इसका निर्देशन राधिका राव और विनय सप्रू ने किया है। फिल्म की कहानी मुहम्मद आसिफ अली ने लिखी है। फिल्म को यूथ के हिसाब से बनाने में निर्देशक ने अच्छा काम किया है। लेकिन फिल्म की कहानी थोड़ी बिखरी हुई लगती है। फर्स्ट हाफ कुछ लम्बा खिंचा हुआ महसूस हो सकता है। सेकंड हॉफ में फिल्म रफ्तार में आती है। इसके इमोशनल सीन्स प्रभावशाली हैं।
फिल्म का संगीत अच्छा है। युवाओं और डांस नम्बर्स के हिसाब से कुछ पंजाबी गाने हैं। टी सीरीज का गाना से फिल्म और मजेदार हो जाता है। कुल मिलाकर कहा जाए तो पारिवारिक फिल्मों को पसंद करने वाले और जीवन में प्यार और भाई बहन के बंधन पर आधारित यह कहानी एक बार देखने लायक है।
रेटिंग: 2/5
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