काजोल अब थिएटर के बाद ओटीटी पर आ चुकी हैं। काजोल की हाल ही ओटीटी प्लेटफार्म नेटफ्लिक्स पर लस्ट स्टोरीज रिलीज हुई थी, जो काफी पसंद की गई थी। अब काजोल अपनी एक और वेब सीरीज के साथ आ चुकी हैं। काजोल की यह वेब सीरीज ‘द ट्रायल’ अमेरिकन ड्रामा ‘द गुड वाइफ’ की हिंदी रीमेक है। चलिए जानते हैं कैसी है यह सीरीज!
क्या है सीरीज की कहानी?
यह एक कोर्ट ड्रामा है, जो एक मशहूर वकील नोयोनिका सेनगुप्ता(काजोल) और उसके जज पति राजीव सेनगुप्ता(जिशु सेनगुप्ता) की कहानी है।
नोयोनिक की जिंदगी अच्छी खासी चल रही थी, फिर तभी नोयोनिका के पति राजीव पर घुस के नाम पर सेक्सुअल फेवर लेने का आरोप लगता है। राजीव के इस छुपे चेहरे के सामने आने पर नोयोनिका को बड़ा झटका लगता है, क्योंकि राजीव को जेल हो जाती है और उसकी प्रॉपर्टी और पैसों को जब्त कर लिया गया है। अब नोयोनिका को अपनी दो बेटियों को पालने के लिए नोयोनिका एक लॉ फर्म में काम करना शुरू करती है और यहीं से उसकी जिंदगी की नई शुरुआत होती है। नोयोनिका अपने पति के दोस्त के लॉ फर्म में काम करती है, इसी बीच उसके पति का वकील उन्हें धोखा दे देता है। फिर नोयोनिका खुद अपने पति का केस लड़ती हैं। नोयोनिका अपने पति को कानून के हाथों से बचा पाती हैं या नहीं, यह जानने के लिए आपको देखना होगा ओटीटी प्लेटफार्म हॉट स्टार पर द ट्रायल!
कैसी है कलाकारों की एक्टिंग?
वकील के किरदार में काजोल पूरा जच रही हैं, हालांकि कहानी की कड़ी थोड़ी कमजोर पड़ गई जिससे काजोल का एक्टिंग सामने उभर कर नहीं आ पाया। काजोल की हाउसवाइफ से लेकर वर्किंग वुमेन तक की एक्टिंग अच्छी है। जिशू को ज्यादा स्क्रीन टाईम नहीं दिया गया था, फिर भी उन्होंने अच्छा काम किया है। अली खान ने सीरीज में पूर्व प्रेमी और लीगल फर्म के हिस्सेदार के रूप में सबसे बढ़िया काम किया है। बाकी कलाकारों की भी एक्टिंग अच्छी है।
कैसा है निर्देशन?
सुपर्ण एस वर्मा ने इस सीरीज का निर्देशन किया है, उन्होंने सीरीज में अच्छा काम किया है। उन्होंने घर और एक कोर्ट के सीन को अच्छे से दिखाया है, लेकिन फिल्म की कहानी ही थोड़ी ढीली पर जाती है जिससे सीरीज में सस्पेंस की थोड़ी कमी आ जाती है। स्क्रीनप्ले और कलाकारों के इमोशन को सुपर्ण को थोड़ा और निखारना चाहिए था।
रिव्यु:
कोर्ट रूम ड्रामा पर पहले ही काफी कंटेंट बन चुका है। हाल ही मनोज बाजपेई की सिर्फ एक बंदा काफी है आई थी, जिसे लोगों ने काफी पसंद किया था। अब काजोल की यह सीरीज भी कोर्ट रूम ड्रामा ही है, जिसकी कहानी थोड़ी ढीली पड़ जा रही है। लेकिन फिर भी इस सीरीज के हर एपिसोड में आने वाला हर नया किरदार दिलचस्पी बनाए रखता है। जज और वकीलों के बीच की बातचीत मजेदार लग रही है। कुछ सीन ऐसे हैं जो जबरदस्ती डाले गए हैं साथ ही कई सीन हो देख ऐसा लगता है कि यह और बेहतर हो सकता था।
कहानी की बात करें तो तीसरे एपिसोड के बाद और आठवें एपिसोड तक आते इसे फास्ट फॉरवर्ड करके देखने का मन करने लगता है। ऐसे में कहा जा सकता है की वेब सीरीज ‘द ट्रायल’ को देखने का एकमात्र वजह काजोल हैं।
तो कहना गलत नहीं होगा की आठ एपीसोड की इस एपीसोड को देखने लिए आपको थोड़ा पेशेंस के साथ रहना है क्योंकि काजोल की एक्टिंग ही सीरीज में खास है। कहानी काजोल की एक्टिंग के आगे फीकी पड़ती दिख रही है। कहानी और स्क्रीनप्ले अगर बेहतर होता तो काजोल की इस एक्टिंग के साथ सीरीज बहुत ही अलग लेवल की होती। कुल मिलाकर कहें तो यह सीरिज देखने लायक है।
रेटिंग: 2/5
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