1.मुग़ल-ए-आज़म (1960)
सलीम और अनारकली की प्रेम कहानी को दर्शाती फिल्म मुगलों की विलासितापूर्ण जीवनशैली को प्रदर्शित करती है और इसके उर्दू संवाद काफी सराहनीय नजर आते है। दिलीप कुमार और मधुबाला के बीच की खूबसूरत केमिस्ट्री के बीच यह फिल्म काफी रोमांचक नजर आती है ।लता मंगेशकर और मोहम्मद रफी जैसे गायकों ने इस फिल्म के लिए अपने कुछ सबसे यादगार गाने दिऐ।
2.जहाँ आरा (1964)
मुमताज महल की मृत्यु के बाद शाहजहाँ की देखभाल के लिए जीवन लगा देने वाली उनकी पुत्री जहाँआरा के पृष्ठभूमि को दर्शाती है। फिल्म में दिखाए गए बड़े महल और बगीचों का आनंद लिया, जो फिर से मुगलों की भव्यता को उजागर करते हैं। फिल्म मुसलमान की संस्कृति का बेहतरीन उदाहरण है।
3.ताज महल (1963)
ताज महल में एक बार फिर मुमताज महल और शाहजहाँ की प्रेम कहानी दिखाई गई। फिल्म के मुख्य किरदार के रूप में बीना राय और प्रदीप कुमार नजर आऐ। फिल्म में लता मंगेशकर और मोहम्मद रफ़ी की सदाबहार आवाज़ें हैं। फिल्म मुगलकालीन है इस वजह से मुसलमान की संस्कृति की रूपरेखा पर्दें पर दिखती है।
4.अनारकली (1953)
सलीम और अनारकली की कहानी की एक पर बनी फिल्म अनारकली दर्शकों द्वारा बेहद पसंद की गई। फिल्म में बीना राय और प्रदीप कुमार के बीच की केमिस्ट्री खूबसूरती से दिखाई गई.इस फिल्म में बीना राय वेश्या की भूमिका निभा रही हैं ।फिल्म की ग़ज़लों और उर्दू भाषा को काफी सराहा गया।
5.चढ़वीं का चांद (1960)
एक युवक और वेश्या के बीच के प्रेम संबधो पर पर्दे पर उतारा है गुरू दत्त और वहीदा रहमान की जोड़ी ने। जॉनी वॉकर की कुछ हल्की-फुल्की कॉमेडी फिल्म के संजीदा बनाऐ रखती है। इस फिल्म के संवाद और संगीत बेहतरीन है। चौदहवीं का चांद और मिली खाक मैं मोहब्बत जैसे गानों के बोल शकील बदायुनी ने लिखे हैं।इन्हें मोहम्मद रफी ने खूबसूरती से गाया ।
6.पाकीज़ा (1972)
मीना कुमारी की सर्वश्रेष्ठ फिल्म की सूची में पाकीजा का स्थान न० वन है। फिल्म में कैफ़ी आज़मी , मजरूह सुल्तानपुरी , कैफ़ भोपाली और कमाल अमरोही जैसे दिग्गजों द्वारा ग़ज़लें बेहद सुकून देती है। फिल्म में सुंदर कथक पारंपरिक भारतीय नृत्य का इस्तेमाल किया गया था।
7.उमराव जान (1981)
मिर्जा हादी रुसवा के उपन्यास उमराव जान अदा पर आधारित यह फिल्म एक युवा लड़की की दुखद कहानी बताती है जिसे अपहरण कर वेश्यालय में बेच दिया जाता है और वह वैश्या बन जाती है। रेखा का उमराव जान के रूप में अभिनय, लखनऊ की नाजुक तहज़ीब और निश्चित रूप से संवादों की अदायगी काफी सराहनीय रही । फिल्म में रेखा एक उत्कृष्ट नृत्यांगना के रूप में भी नजर आई है।
8.शतरंज के खिलाड़ी (1977)
शतरंज के खिलाड़ी 1857 के विद्रोह की पूर्व संध्या पर अवध के दो महानुभावों की कहानी बताती है जो शतरंज के खेल के प्रति जुनूनी हैं और इसे खेलने के लिए अन्य सभी कर्तव्यों की उपेक्षा करते हैं। फिल्म इन लोगों की आरामदायक जीवनशैली को दर्शाती है, जिनके दिन मुख्य रूप से सोने और जब भी वे शतरंज नहीं खेल रहे होते हैं तो हुक्का पीते हैं।
9.मकबूल (2003)
निर्देशक विशाल भारद्वाज की फिल्म मकबूल वर्ष 2003 में आई एक क्राइम ड्रामा फिल्म है। फिल्म की कहानी में एक अंडरवर्ल्ड डॉन के आदमी मकबूल को अपने बॉस की प्रेमिका से प्यार हो जाता है।फिल्म इसी के इर्द-गिर्द घूमती है। फिल्म महत्वाकांक्षा को दर्शाती है फिल्म की मुख्य भूमिका में इरफान खान, पंकज कपूर ,तब्बू, नसरुद्दीन शाह और ओम पुरी नजर आऐ है। गौरतलब हो की फिल्म शेक्सपियर रचित नाटक से प्रेरित है।
10.हैदर (2014)
विलियम शेक्सपियर के नाटक “हेमलेट” का आधुनिक रूपांतरण कर बनी फिल्म हैदर एक युवक और उसके लापता पिता की तलाश के इर्द-गिर्द घूमती है। शाहिद कपूर ने फिल्म में अपना बेहतरीन प्रदर्शन किया, जिसमें श्रद्धा कपूर , तब्बू, के के मेनन और इरफान खान भी प्रमुख भूमिकाओं में हैं। निर्देशक विशाल भारद्वाज ने सर्वश्रेष्ठ पटकथा और सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशन के लिए दो राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीते।