बॉलीवुड की 10 फिल्म जो समाजिक जातिगत भेदभाव को पर्दे पर दिखाती है और दर्शकों से सवाल करती मालूम पड़ती है।

  • December 12, 2023 / 10:52 AM IST

1.अंकुर (1974)

निर्देशक श्याम बेनेगल की फिल्म अंकुर एक दलित परिवार की कहानी है, जिसमे लक्ष्मी और किश्त्या एक खुशहाल शादीशुदा जीवन जीते हैं। हालाँकि, हालात बदलते हैं, जब गाँव के जमींदार का बेटा, सूर्या, लक्ष्मी पर बुरी नज़र डालता है।फिल्म जातिगत मतभेद, लिंगवाद, पितृसत्ता और विशेषाधिकार के विषयों की पड़ताल करती है। इस फिल्म ने 1975 में दूसरे सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म, सर्वश्रेष्ठ अभिनेता और सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के लिए तीन राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीते। फिल्म की मुख्य भूमिका में शबाना आजमी और अनंत नाग नजर आऐ है।

2. आर्टिकल 15 (2019)

संविधान के अनुच्छेद 15 पर आधारित, जो धर्म, नस्ल, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर भेदभाव पर रोक लगाता है इस पर प्रकाश डालते हुऐ फिल्म की कहानी एक अधिकारी से संबंधित है, जो एक दूरदराज के पिछड़े गांव में एक लापता दलित लड़की के मामले की जांच करता है, फिल्म का निर्देशन अनुभव सिन्हा ने किया है फिल्म की मुख्य भूमिका में आयुष्मान खुराना और जीशान अयूब नजर आऐ है।

3.सद्गति (1981)

सत्यजीत रे द्वारा निर्देशित , सद्गति , जाति व्यवस्था और उस विभाजन में सत्ता की गतिशीलता पर केंद्रित है। सद्गति एक दलित व्यक्ति के इर्द-गिर्द घूमती है , जो अपनी बेटी की सगाई एक शुभ तिथि पर तय करना चाहता है और अपने गांव में एक उच्च जाति के ब्राह्मण व्यक्ति की सेवा लेना चाहता है। बाद वाला उससे अपने घर के आसपास मुफ्त में काम करवाकर उसका शोषण करता है।

4.मसान (2015)

लेखक वरुण ग्रोवर एवं निर्देशक नीरज घयावान फिल्म मसान वर्ष 2015 में आई स्वतंत्र ड्रामा फिल्म है फिल्म जातिवादी समाज के प्रतिबंधों एवं यौन संबंध के सामाजिक कलंक के परिधि में घूमती हुई समाज को आईना दिखाने का काम करती है। फिल्म की मुख्य भूमिका में विक्की कौशल ,रिचा चड्डा, श्वेता त्रिपाठी, संजय मिश्रा एंव पंकज त्रिपाठी नजर आऐ है।

5.अजीब दास्ताँ :: गीली पुच्ची

मसान के निर्देशक नीरज घयावान की फिल्म “गीली पुच्ची” अजीब दास्तां संकलन का एक खंड है , जो जाति पर एक टिप्पणी भी प्रस्तुत करती है। गीली पुच्ची एक ऊंची जाति की कामकाजी पत्नी ( अदिति राव हैदरी ) और एक दलित समलैंगिक महिला ( कोंकणा सेन शर्मा ) के बीच समीकरण के बारे में बात करती है , जो पेशेवर सीढ़ी पर चढ़ने का लक्ष्य रखती है।

6.आरक्षण (2011)

एक सामाजिक-राजनीतिक फिल्म है, जो देश में व्याप्त जाती- भेदभाव पर बंटे लोग और आरक्षण जैसे संवेदनशील मुद्दे पर समाज को आईना दिखाने का कार्य करती हैयह फिल्म भारत में सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में जाति-आधारित आरक्षण पर प्रहार करती है। फिल्म के मुख्य कलाकार हैं,दीपिका पादुकोन, सैफ अली खान और अमिताभ बच्चन है।

7.सुजाता (1959)

निर्देशक बिमल राय की फिल्म सुजाता एक उच्च जाति के पुरुष और एक अछूत महिला के बीच प्रेम संबंध की है। सुनील दत्त और नूतन अभिनीत इस फिल्म को उस वर्ष राष्ट्रीय पुरस्कारों में तीसरी सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म के लिए ऑल इंडिया सर्टिफिकेट ऑफ मेरिट से सम्मानित किया गया था।

8.बैंडिट क्वीन (1994)

शेखर कपूर निर्देशित फिल्म बैंडित क्वीन दलित अत्याचार पर प्रकाश डालता है जिसमें एक दलित जाति की महिला जिसको इस तरह त्रस्त किया जाता है की अंत में वो हथियार उठाने को मजबूर हो जाती है। सीमा बिस्वास ने निचली जाति की महिला का किरदार निभाया था, जिसका उच्च पदस्थ ग्रामीणों द्वारा शोषण किया जाता है और जो डकैत बन जाती है।

9.खाप (2011)

निर्देशक अजय सिन्हा की फिल्म खाप एक दलित दंपति की आत्महत्या से संबंधित है जो हत्या प्रतीत होती है। मानव अधिकार विभाग के एक अधिकारी मधुर चौधरी अपने पैतृक गाँव से एक मामले की जाँच करते हैं ओम पुरी और युविका चौधरी अभिनीत यह फिल्म हरियाणा में वास्तविक जीवन के ऑनर किलिंग मामले पर आधारित थी।

10.शूद्र: द राइजिंग (2012)

संजीव जयसवाल निर्देशित यह फिल्म सिंधु घाटी सभ्यता के दौरान स्थापित, प्राचीन भारत में जाति व्यवस्था पर प्रकाश डालती है। फिल्म की मुख्य भूमिका में परवीन बाबी, आरिफ राजपूत एंव महेश बलराज नजर आऐ है।

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