बॉलीवुड के मशहूर निर्देशक विवेक अग्निहोत्री की फिल्म द वैक्सीन वार थिएटर में आज रिलीज हो चुकी है। यह फिल्म कोरोना वायरस के लिए बनी वैक्सीन के ऊपर है। इस फिल्म को लेकर बीते दिनों सोशल मीडिया काफी गरम था। इस फिल्म में नाना पाटेकर सहित कई दिग्गज कलाकार हैं। चलिए जानते हैं कैसी है यह फिल्म!
क्या है फिल्म की कहानी?
कहानी फिल्म की कहानी भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा कोरोना वायरस की दवा बनाने पर केंद्रित है। नाना पाटेकर के नेतृत्व में वैज्ञानिकों की एक टीम है जो इस जानलेवा वायरस की दवा बनाने में जुटी हुई है। इस टीम में ज्यादातर महिलाएं हैं और यह टीम अपने जान की परवाह न करते हुए बस कोरोना की दवा बनाने के इकलौते मिशन पर आगे बढ़ रही है।
इस बीच उन्हें कई तरह की आलोचनाओं और विरोधों का सामना भी करना पड़ता है। फिर कहानी आगे बढ़ती है की कैसे एक वैज्ञानिक इन सब मुश्किलों से आगे बढ़ कर वैक्सीन बनाता है।
कैसा है कलाकारों की एक्टिंग?
इस फिल्म की सबसे खास बात फिल्म की कास्टिंग है, हर एक किरदार ने फिल्म में अपना बेस्ट दिया है। फिल्म के सबसे अहम किरदार के रूप में नाना पाटेकर हैं, जिन्होंने अपने किरदार से फिल्म में जान फूंक दी है। पल्लवी जोशी डॉक्टर के किरदार में अच्छी हैं। उन्होंने साउथ इंडियन वोमेन का किरदार निभाया जो की वास्तव में बहुत ही अच्छा है। राइमा सेन जर्नलिस्ट के किरदार में हैं, उन्होंने भी अच्छी एक्टिंग की है, हालांकि कहीं कहीं वह अपने किरदार को निखारने में नाकाम रहीं। गेस्ट अपीयरेंस से अनुपम खेर ने फिल्म में जान डाली है।
कैसा है निर्देशन?
इस फिल्म के निर्देशन की कमान विवेक अगिनहोत्री ने अपने हाथ में लिया है, जो इससे पहले ताशकंद फाइल्स और कश्मीर फाइल्स का निर्देशन करके काफी मशहूर हो चुके हैं। अपने हर एक्टर्स से वो काम लेना जानते हैं और उनकी सबसे बड़ी खासियत यह है उनकी फिल्मों में ज्यादातर रंगमंच से जुड़े अभिनेता होते हैं जिसकी वजह से उनकी हर फिल्म हकीकत के काफी निकट लगती हैं। हमने टीवी पर, न्यूज में डॉक्टर्स, मजदूरों के बारे में तो जरूर पढ़ा था लेकिन अब वैज्ञानिक के बारे में परदे पर यह दिखाना और देखने का अनुभव बहुत ही रोमांचक था। वैज्ञानिकों की मनोदशा, हाव-भाव और वेदना को बखूबी दिखाया गया है। फिल्म के डायलॉग भी काफी जबरदस्त हैं । इस फिल्म में संगीत दिया है वनराज भतिअ और रोहित शर्मा ने और गीत लिखे हैं वसंत देव और श्रेया घोष ने । फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक काफी अच्छा है । कुल मिलाकर कहें तो फिल्म देखने लायक है।
रिव्यू
विवेक अग्निहोत्री की इस फिल्म ने प्लॉट तो बहुत अच्छा पकड़ा है, साथ ही विवेक के कहानी कहने का तरीका हमेशा से अजूबा रहा है। लेकिन इस बार विवेक की इस फिल्म का फर्स्ट हाफ थोड़ा ढीला पड़ गया है, जिस वजह से फिल्म खींची हुई नजर आती है। फिल्म कहीं कहीं सरकार की बड़ाई करती भी नजर आती है।
फिल्म की एक अहम बात यह है की फिल्म में बहुत सारे टेक्निकल टर्म यूज किए गए हैं, जिससे फिल्म थोड़ी बोरिंग हो जाती है। फिल्म की एक और यह खामी है की फिल्म में बस कोरोना की दवाई बनने और उसे लोगों तक पहुंचाने को दिखाया गया है, हालांकि फिल्म ने देश की स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल उठाना भूल गई, जो आसानी से डाइजेस्ट करना मुश्किल कर देता है। फिल्म कई कई बार अपनी एक आइडियोलॉजी दिखाती नजर आती है। कुल मिलाकर कहा जाए तो फिल्म में कलाकारों ने अच्छी एक्टिंग की है, लेकिन फिल्म की कहानी असल मायने में अधूरी नजर आ जाती है, जिस वजह से यह थोड़ा बोर करती है।
रेटिंग 2/5