सुदीप्तो सेन के निर्देशन में बनी फिल्म द केरल स्टोरी 5 मई को सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। फिल्म अपने ट्रेलर के रिलीज के समय से ही विवाद में घिरी हुई है। फिल्म के रिलीज को रोकने से लेकर, प्रोपेगंडा फैलाने तक के आरोपों के बीच फिल्म रिलीज हो गई है। लव जिहाद को लेकर बनी यह फिल्म केरल के 30 हजार लड़कियों की कहानी कहती है। चलिए आज जानते हैं कैसी है फिल्म और क्यों इस फिल्म को लेकर इतना विवाद हो रहा है।
क्या है फ़िल्म की कहानी
शालिनी नाम की एक लड़की जो केरल के एक कॉलेज में नर्सिंग की पढ़ाई कर रही है। उसकी एक मुस्लिम रूममेट आसिफा, एक ईसाई रूममेट निमाह, और एक रूममेट है गीतांजलि, जो है तो हिंदू, लेकिन उसके पिता वामपंथी हैं, तो वो धर्म को नहीं मानती है।
अब इनमें आसिफा इन तीनों का धर्म परिवर्तन करने की कोशिश करती है, पर सफल होती है सिर्फ़ शालिनी के साथ। शालिनी को एक मुस्लिम से प्यार करवाया जाता है। वो लड़का उसे प्रेगनेंट करता है और कहता है कि शादी करनी है तो मुसलमान बनाना होगा। शालिनी कन्वर्ट हो जाती है फिर प्रेमी भाग जाता है। शालिनी की शादी दूसरे मुसलमान लड़के के साथ कराई जाती है। जो उसे अफ़ग़ानिस्तान ले जाता है। फिर उसे ISIS के कैंप में बतौर सेक्स स्लेव रखा जाता है, जहां से वो भागने में कामयाब होती है और आख़िर में अफ़ग़ानिस्तान की किसी जेल में बंद है।
रिव्यु
सुदीप्तो सेन पहले ही इस मुद्दे पर ‘इन द नेम ऑफ लव’ नाम से डॉक्यूमेंट्री बनाई थी अब इसी टॉपिक को उन्होंने थोड़ा बढ़ा-चढ़ा कर और मैनिपुलेट कर फिल्म में तब्दील किया है।
फिल्म ‘द केरल स्टोरी’ सिरे से समझाती है कि ‘लव जिहाद’ को कैसे अंजाम दिया जाता है। फिल्म खत्म होने के बाद उन परिवारों के लोगों के असल इंटरव्यू दिखाए गए हैं, जिनके साथ ये सब वाकई हो चुका है।
शुरू शुरू में तो लगता है कि ये एक ऐसी फिल्म है जिसे किसी खास राजनीतिक उद्देश्य से ही बनाया गया है। लेकिन, जैसे जैसे फिल्म आगे बढ़ती है, ये दर्शकों को अपने साथ जोड़ने लगती है। पर फिल्म में लड़कियों का ब्रेनवॉश किए जाने की की प्रक्रिया बहुत ही बचकानी लगती है। ग्रेजुएशन की हुई लड़कियों को आसिफा और उसके साथी जिस तरह बरगलाते हैं, वह बचकाना लगता है। गीतजंलि का अस्पताल में पड़े पिता पर थूकना, शालिनी को कोलंबो में सचाई पता चलने के बावजूद उसका सीरिया जाना जैसे कई दृश्य हैं, जो हजम नहीं होते।
फिल्म में कई ऐसे डायलॉग्स भी हैं, जो विभिन्न समुदायों और विचारधारा के लोगों की भावनाओं को आहत कर सकते हैं। फिल्म के किरदार निखर कर बाहर नहीं आ पाए हैं। फिल्म में कई ऐसे सीन हैं जिन्हें और बेहतर किया जा सकता था। फिल्म को देख कर एक समय ऐसा महसूस होता है की सुदीप्तो ‘द कश्मीर फाइल्स’ से प्रभावित हो कर इस फिल्म का निर्माण किए हैं। फिल्म में जगह जगह हिंदू धर्म को लेकर ऐसे बात किए गए हैं जिसे देख थियेटर में दर्शक जय श्री राम और हर हर महादेव का नारा लगाते देखे गए।
निर्देशन
सुदीप्तो सेन ने कई ऐसे क्षण बनाए हैं जो दर्शकों के बीच एक स्वाभाविक बेचैनी पैदा करते हैं। संवेदनशील विषयों को संभालते समय संतुलन बनाना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, लेकिन सुदीप्तो इसे आसानी से संभालते दिखाई देते हैं।
कई सीन ऐसे है जहां फिल्म दर्शकों के लिए मनोरंजन की तुलना में कट्टरता के एक ट्यूटोरियल की तरह अधिक महसूस होती है। यह अपनी बात रखने के लिए चरम सीमा तक भी जाता है, और यह हमारे देश में विभिन्न समुदायों से संबंधित दर्शकों के लिए काफी परेशान करने वाला हो सकता है।
एक्टिंग
फिल्म में एक्टिंग की बात करें तो अदा शर्मा की अबतक की बेस्ट एक्टिंग देखने को मिली है। इसके अलावा अन्य कलाकारों ने भी बेहतरीन अदाकारी की है।
लेकिन फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर और म्यूजिक फिल्म की कहानी से मैच नहीं होता है।
रेटिंग्स और समीक्षा
फिल्म का एकाएक खत्म होना हमारे इंटेलिजेंस ब्यूरो और रक्षा प्रणाली में एक कमी को दर्शाता है। विषय और निर्देशन में कई जगह कमियां नजर आती हैं। फिल्म के कई सीन बेहतर हो सकते थे पर सीन छोटा रखने की वजह से अब वो वास्तविक नहीं लगते हैं।
रेटिंग: 3/5