चैतन्य चौधरी, दिलनाज ईरानी, कुशा कपिला, पवलीन गुजराल और किरण कुमार (Cast)
सोनल जोशी (Director)
भूषण कुमार, कृष्ण कुमार (Producer)
करण कुलकर्णी (Music)
आर डी. (Cinematography)
शिल्पा शेट्टी अपनी नई फिल्म के साथ वापसी कर चुकी हैं, यह फिल्म हाउसवाइफ की कहानी के ऊपर बनी है। आज यह फिल्म थिएटर में रिलीज हो चुकी है, चलिए जानते हैं कैसी है फिल्म!
क्या है फिल्म की कहानी?
फिल्म की कहानी 38 साल की हाउसवाइफ सुखप्रीत कालरा उर्फी सुखी (शिल्पा शेट्टी) के इर्द-गिर्द है। सुखी अपनी वही रोजाना की एक जैसी जिंदगी से परेशान होकर उससे थोड़ा ब्रेक लेना चाहती है। स्कूल के रियूनियन के लिए वह पंजाब में अपने पति और बेटी को अकेला छोड़कर दिल्ली आ जाती है। दिल्ली में ही सुखी का बचपन बीता, उसने स्कूल और कॉलेज की पढ़ाई के साथ दोस्तों के साथ अपनी यादें बनाई। अपने स्कूल के दिनों में वह बहुत मशहूर थी लेकिन अब वह सोचती है की वह कहां फंस गई है। ऐसे में रियूनियन के समय सुखी एक हफ्ते अपने दोस्तों के साथ अपनी लाइफ के पुराने दिनों को फिर से जीती है। इस दौरान वह एक पत्नी और मां की सीमा को पार करके एक औरत के खुले आसमान का अनुभव करती है। अपने स्कूल के दोस्तों से मिलने के बाद सुखी का जीवन क्या बदल पाता है? यह जानने के लिए आपको थिएटर जाकर देखना होगा सुखी!
कैसी है कलाकारों की एक्टिंग?
शिल्पा शेट्टी काफी समय के बाद परदे पर लौटी हैं, वह टेलीविजन पर नजर आती हैं लेकिन फिल्म में वह काफी समय के बाद वापसी कर रही हैं। सुखी के किरदार को उन्होंने अच्छी तरह से निभाया है। कहीं कहीं उनका एक्सप्रेशन ज्यादा हो जा रहा है, जिस वजह से वहां ओवरएक्टिंग नजर आ जाता है। अमित साध भी अच्छी भूमिका में हैं, हालांकि उनका रोल ज्यादा नहीं है। कुशा कपिला ने भी अच्छा अभिनय किया है। बाकी किरदार ने भी अच्छा अभिनय किया है।
कैसा है निर्देशन?
इस फिल्म के निर्देशन की कमान सोनल जोशी ने अपने हाथों में रखी थी, इसी फिल्म से उन्होंने डेब्यू भी किया है। उन्होंने अपनी पहली ही फिल्म में अच्छा प्रदर्शन किया है, जिस तरह से उन्होंने मिडिल क्लास लाइफ दिखाया है वह वाकई अच्छा है। फिल्म में कास्टिंग भी उन्होंने अच्छी की है, साथ ही कलाकारों से भी उन्होंने अच्छा काम लिया है।
रिव्यू
महिलाओं के जिंदगी पर बीते समय में कई फिल्में बनती आईं जो उनके व्यथा को दिखाती है, खासकर हाउसवाइफ की। इस बार सोनल जोशी भी वैसा ही कुछ लेकर आईं हैं, लेकिन जिस तरह से उन्होनें परदे पर दिखाया है, वह काबिलेतारिफ है।
सोनल की कहानी शुरू से ही रियलिस्टिक लगती है, लेकिन फिल्म की कहानी इंटरवल के बाद लड़खड़ा जाती है। तो इसके लिए स्क्रिप्ट को जिम्मेदार ठहराया जाएगा। फिल्म का डायलॉग अच्छा लिखा है, लेकिन कई सीन अधूरे नजर आते हैं, खासकर सूखी के दोस्तों का। अमित साध और शिल्पा शेट्टी की कहानी परदे पर अधूरी नजर आती है। कुल मिलाकर कहा जाए तो फिल्म एक्टिंग से लेकर स्क्रिप्ट तक, सबमें ढीली पड़ गई है।
रेटिंग 1.5/5
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