नीना गुप्ता बॉलीवुड की एक दिग्गज अभिनेत्री हैं, जो चार दशक से अधिक समय से इंडस्ट्री में हैं। अपने फिल्मी करियर के दौरान उन्होंने हर तरह की फिल्मों में काम किया है चाहे वो ब्लॉकबस्टर हो या आर्ट फिल्में। गुप्ता को उनकी बहुमुखी प्रतिभा और उनके पात्रों में गहराई और जटिलता लाने की क्षमता के लिए जाना जाता है। बीते दिन ही नीना 64 वर्ष की हुईं। अपने जिंदगी के इस अहम पड़ाव पर पहुंच कर भी नीना अभी भी बेहतरीन फिल्में और सिरीजें कर रही हैं। हाल ही आई उनकी सीरीज पंचायत से उन्होंने सबका दिल जीत लिया था। आज नीना गुप्ता के जन्मदिन के अवसर पर हम उनके कुछ बेहतरीन मूवीज के लिस्ट लेकर आए हैं। चलिए डालते हैं उनके बेहतरीन फिल्मों पर एक नजर:
वो छोकरी (1994): समीक्षकों द्वारा प्रशंसित इस नाटक में, गुप्ता हाल ही में विधवा बहू गीता देवी की भूमिका निभाती हैं, जो दुनिया में अपनी जगह पाने के लिए संघर्ष कर रही है। गुप्ता के प्रदर्शन की समीक्षकों द्वारा प्रशंसा की गई, और उन्होंने फिल्म में अपने काम के लिए सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता।
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जाने भी दो यारो (1983): यह व्यंग्यात्मक कॉमेडी हिंदी सिनेमा की क्लासिक है। गुप्ता पंकज कपूर के किरदार के सचिव की भूमिका में हैं। वह फिल्म में कुछ महिला पात्रों में से एक है, और वह एक मजबूत प्रदर्शन देती है।
मंडी (1983): यह नाटक मुंबई के रेड-लाइट जिले में सेट है। गुप्ता एक वेश्या की भूमिका निभाती है जो वेश्यावृत्ति के अपने जीवन से बचने की कोशिश कर रही है। उनके प्रदर्शन की समीक्षकों द्वारा प्रशंसा की गई, और उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया।
द लास्ट कलर (2019): यह अंग्रेजी भाषा का नाटक एक विधवा की कहानी कहता है जिसे उसके समुदाय द्वारा बहिष्कृत कर दिया जाता है। गुप्ता विधवा के रूप में एक शक्तिशाली प्रदर्शन देते हैं, और फिल्म को समीक्षकों द्वारा एक हाशिए के समुदाय के संवेदनशील और बारीक चित्रण के लिए सराहा गया था।
बधाई हो (2018): यह कॉमेडी-ड्रामा एक मध्यम आयु वर्ग के जोड़े की कहानी कहता है जो अपने दूसरे बच्चे की उम्मीद कर रहे हैं। यह फिल्म व्यवसायिक रूप से सफल रही और इस फिल्म ने सर्वश्रेष्ठ फिल्म के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार सहित कई पुरस्कार जीते।
शुभ मंगल ज्यादा सावधान (2020): यह कॉमेडी-ड्रामा दो समलैंगिक पुरुषों की कहानी कहता है जो प्यार में पड़ जाते हैं। गुप्ता पुरुषों में से एक की माँ की भूमिका निभाती हैं, और वह एक दिलकश प्रदर्शन देती हैं। फिल्म आलोचनात्मक और व्यावसायिक रूप से सफल रही, और LGBTQ+ संबंधों के सकारात्मक चित्रण के लिए इसकी प्रशंसा की गई।