गजराज राव, सुप्रिया पाठक, शिखा तसलानिया, राजपाल यादव (Cast)
समीर विध्वंस (Director)
साजिद नाडियाडवाला, शरीन मंत्री केडिया, किशोर अरोड़ा (Producer)
हितेश सोनिक (Music)
अयानंका बोस (Cinematography)
आज कार्तिक आर्यन और कियारा आडवाणी की ‘सत्यप्रेम की कथा’ रिलीज हो गई है। कार्तिक और कियारा की साथ में यह दूसरी फिल्म है, इससे पहले ‘भूल भुलैया 2’ में दोनों ने साथ काम किया था जो काफी हिट रही थी। आज बकरीद के मौके पर फिल्म को रिलीज किया गया है। इस फिल्म को लेकर भी फैंस काफी बेसब्री से इंतज़ार कर रहे थे, अब उनका इंतजार खत्म हो गया है। चलिए जानते हैं कैसी है फिल्म!
क्या है फिल्म की कहानी?
फिल्म गुजरात के सत्तू यानी सत्यप्रेम(कार्तिक आर्यन) की कहानी है, जो लॉ में फेल हो चुका है। अब उसके घरवाले उसकी शादी करवाना चाहते हैं। वहीं इस फिल्म का दूसरा किरदार कथा(कियारा आडवाणी) है जो एक बड़े बिजनेसमैन की बेटी है, जिसके प्यार में सत्तू पड़ जाता है। इसी बीच कथा का बॉयफ्रेंड कथा को धोखा दे देता है। अब कथा की मर्जी के बिना सत्तू के साथ कथा की शादी करा दी जाती है। लेकिन फिर शादी के बाद एक राज पता चलता है जिससे दोनों को जिंदगी हिल जाती है। यह राज और आगे की कहानी जानने के लिए देखें ‘सत्यप्रेम की कथा’!
कैसी है कलाकारों की एक्टिंग?
सत्तू के क़िरदार में कार्तिक सटीक बैठे हैं, उन्होंने एक गुजरती का किरदार और गुजरती एक्सेंट को शानदार तरीके से निभाया है। कथा के किरदार को कियारा आडवाणी ने भी अच्छे से निभाया है। उनका काम इस किरदार के लिए काबिलेतारिफ है। कियारा कथा के किरदार में सटीक बैठी हैं। सत्तू के माता-पिता के किरदार में गजराज राव और सुप्रिया पाठक ने भी अच्छी एक्टिंग की है। राजपाल यादव का रोल छोटा है, हालांकि फिर भी इतने छोटे रोल में ही उन्होंने अच्छा काम किया है।
कैसा है निर्देशन?
समीर विध्वंस के निर्देशन में बनी यह फिल्म हर जगह से ठीक है। हालांकि इस फिल्म को थोड़ा और बेहतर बनाया जा सकता था। फिल्म के लिए जो मुद्दा उन्होंने चुना था उसे थोड़ा और जोरदार तरीका से कहा जाना चाहिए था।
रिव्यु:
यह फिल्म कहने को तो रोमांटिक कॉमेडी फिल्म लेकिन यह फिल्म एक बहुत ही बड़ा मैसेज भी समाज को देता है। जब फिल्म का ट्रेलर आया था तब ट्रेलर देख लगा नहीं था फिल्म की असल कहानी यह है।
फिल्म का फर्स्ट हाफ कॉमेडी के साथ कहानी को आगे बढ़ाता है, लेकिन वहीं सेकंड हाफ इमोशनल कर देता है। फिल्म धीरे धीरे आगे की ओर बढ़ती है जिससे और रोमांच बढ़ जाता है। एक समय पर लगता है अब फिल्म खत्म हो गया लेकिन फिर कहानी आगे बढ़ती है। फिल्म कहानी को कहते हुए इमोशन पर ज्यादा ध्यान देती है। आज के जमाने के लिए यह फिल्म एक बहुत ही बड़ा मैसेज लेकर आया है को कहता है की अगर लड़की ना कह दे तो उसका मतलब ना होता है। फिल्म का मैसेज थोड़ा थोड़ा अमिताभ बच्चन और तापसी पन्नू की ‘पिंक’ से मिलती जुलती है, लेकिन समीर विध्वंस ने फिल्म को थोडा रोमांटिक और इमोशन के साथ इस कहानी को कहा है।
कुल मिलाकर कहा जाए तो यह फिल्म देखने लायक है, खास कर यह फिल्म हर युवा को तो जरूर देखनी चाहिए। फिल्म ने जो मैसेज को लिया है, यह हर परिवार तक पहुंचना चाहिए।