एक दशक पहले बनी पंकज त्रिपाठी की फिल्म ‘आजमगढ़’ ओटीटी प्लेटफार्म पर आने को तैयार है। निर्देशक कमलेश के मिस्र द्वारा बनाई गई इस फिल्म में वर्ष 2008 से पहले के अतंवादी गतिविधियों को दर्शाया गया है।
इस फिल्म में पंकज त्रिपाठी का किरदार एक मौलवी का है। एक ऐसा मौलवी जो कम उमर के लड़कों को आतंकवादी बनने की सलाह देता है और प्रेरित करता है। हालांकि, पंकज का रोल काफी छोटा है, फिर भी एक्टिंग हमेशा की तरह अच्छी है।
हाल ही में इस फिल्म की होर्डिंग को लेकर भी काफी विवाद हुआ था। डायरेक्टर कमलेश ने आजमगढ़ जिले की कहानी का चुनाव कर काफी अच्छा फैसला किया है।
उत्तर प्रदेश के इस जगह की आतंकी दास्तानें आज भी लोगों को बखूबी याद रहती है। इस जगह से जुड़ी आतंकी गतिविधियों को नकारा नहीं जा सकता है।
फिल्म अच्छी है लेकिन ज्यादातर एक शॉर्ट फिल्म या यूं कहें कि एक डॉक्यूमेंट्री सी लगती है। इस फिल्म में टीवी पर चलने वाले ब्रेकिंग न्यूज और आतंकवादी घटनाओं के फुटेज को बहुत लंबा खींचा गया है। फिल्म में ऐसे सीन्स की भरमार है।
संगीत की बात करें तो फिल्म में कव्वाली सुनने को मिली है जिसके बोल हैं ‘किसकी लगी नजर’। इसे निजामी बंधुओं ने गाया है। फिल्म ‘आजमगढ़’ की शूटिंग आजमगढ़, वाराणसी, अलीगढ़ और दिल्ली जैसी जगहों पर की गई है।ओटीटी मास्क टीवी के प्रमोटर संजय भट ने फिल्म को अच्छा प्रमोट किया है।
फिल्म की सिनेमेटोग्राफी काफी उम्दा है। महेंद्र प्रधान ने सारे लोकेशंस को बहुत ही अच्छे तरीके से अपने कैमरा में कैद किया है। अगर इस फिल्म को ठीक से संपादित किया गया होता तो यह फिल्म 30 मिनट से ज्यादा नहीं होती। अब ये 2 घंटे की फिल्म कैसे बनी ये तो एडिटिंग का ही कमाल है।
रेटिंग 2/5