बरखा बिष्ट , दानिश पंडोर और अवतार गिल व अन्य (Cast)
कृष्णा भट्ट (Director)
विक्रम भट्ट , राज किशोर खवारे , राकेश जुनेजा और श्वेतांबरी भट्ट (Producer)
पुनीत दीक्षित (Music)
प्रकाश कुट्टी (Cinematography)
बॉलीवुड में हॉरर फिल्म भी हमेशा से आती रही हैं और दर्शकों से भी इन फिल्मों को अच्छा रिस्पॉन्स मिला है। इन हॉरर फिल्म को अक्सर विक्रम भट्ट निर्देशित करते आए हैं और उनकी फिल्मों को दर्शकों ने अच्छा प्यार भी दिया है। अब विक्रम भट्ट की बेटी कृष्ण भट्ट ने भी अपने पिता की तरह हॉरर फिल्म से अपनी निर्देशन का डेब्यू किया है।
क्या है फिल्म की कहानी?
इस फिल्म ‘1920 हॉरर्स ऑफ द हार्ट’ की कहानी मेघना नाम की एक लड़की के इर्द-गिर्द घूमती है, जो अपने इक्कीसवे जन्मदिन पर अपने पिता को अपने बॉयफ्रेंड अर्जुन के बारे में बताने का फैसला करती है। लेकिन तभी उसे पता चलता है कि उसके पिता ने आत्महत्या कर ली है। मेघना जैसे ही अपने पिता के मौत की तह में जाने की कोशिश करती है, उसे पता चलता है कि उसकी मां राधिका जो काफी समय पहले उसे छोड़कर चली गई थी, वही उसके पिता के मौत की जिम्मेदार भी है।
मेघना अपने पिता की आत्मा उपयोग करके अपनी मां राधिका और उसके नए परिवार को बर्बाद करने की योजना बनाती है, लेकिन तभी उसे पता चलता है कि सच्चाई कुछ और है। बाकी की कहानी आपको फिल्म देखने पर पता चलेगी।
कैसी है कलाकारों की एक्टिंग?
मेघना के किरदार में अविका गौर ने अच्छी एक्टिंग की कोशिश की है लेकिन उनका किरदार अभी भी ‘बालिका वधू’ से कहीं न कहीं मिलता दिख रहा है। अविका को बड़े परदे पर खुद को स्थापित करने के लिए थोड़ा निखरने की जरूरत है। बरखा बिष्ट और राहुल देव ने अच्छी एक्टिंग की है, वहीं मेघना की सौतेली बहन के किरदार में केतकी कुलकर्णी का अभिनय लाजवाब है।
कैसा है निर्देशन?
कृष्णा ने अपने पापा की तरह अपना जॉनर भी हॉरर ही रखा, लेकिन उन्होंने फिल्म का नाम भी अपने पापा के फिल्म से ले लिया जो आधा मजा तो वहीं किरकिरा कर देता है। कृष्णा के इस फिल्म में सीन के साथ गाने भी में खाते नहीं दिख रहे जो थोड़ा मजा किरकिरा कर देता है। फिल्म के सेट से लेकर, बैकग्रांउड स्कोर तक सब विक्रम भट्ट की फिल्मों से मिलता जुलता दिखाई देता है, जिससे आगे देखने की उत्सुकता खत्म हो जाती है। कृष्णा को आगे वाली फिल्मों के लिए अपने निर्देशन शैली पर ज्यादा काम करने की जरूरत है।
रिव्यु
इस फिल्म को हॉरर बनाने के लिए मेहनत करनी पड़ रही है, फिल्म फर्स्ट हाफ तक इसे हॉरर बनाने पर कायम रहती है वही धीरे धीरे फिल्म सेकंड हाफ से हॉरर वाले जॉनर पर आ जाती है। फिल्म की दिक्कत या कमी बोले, तो इस फिल्म का कहानी है जो कृष्णा ने अपने पापा की फिल्म से लिया है।
फिल्म में सीन को हॉरर बनाने के लिए जिन चीजों या जगहों को इस्तेमाल किया गया है उससे देख कर लगता है कुछ जबदस्ती किया जा रहा है। फिल्म की कहानी कुछ खास नहीं है, जो दर्शकों को देखने के लिए अपील कर सके।
कृष्णा ने अपने पापा से हॉरर फिल्में बनाना तो सिख लिया है, लेकिन वह अपने पापा और चाचा के तरह अपने फिल्मों में अच्छे गाना डालना नहीं सिख पाई। फिल्म में बस एक लोरी वाला गाना है जो थोड़ा फिल्म से मेल खाता दिख रहा है, बाद बाकी गाने कोई प्रभाव नहीं दिखा पाते हैं।
रेटिंग : 1.5/5
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