बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता गोविंदा को कॉमेडी जॉनर के लिए जाना जाता है। उन्होंने 100 से अधिक हिंदी फिल्मों में योगदान दिया था। 90s में उन्हें कॉमेडी किंग कहा जाता था लेकिन उसके बाद उनकी चमक फीकी पड़ने लगी। निदेशक टीनू वर्मा ने गोविंदा के करियर पर बात की, और कहा,” गोविंदा कभी वक्त के पाबंद नही थे। लोग पैर पर कुल्हाड़ी मारते हैं, गोविंदा ने खुद कुल्हाड़ी पर अपनी गर्दन मार दी।” फिल्म ‘अचानक’ से जुड़ा किस्सा याद करते हुए उन्होंने बताया कि अक्सर निर्देशक उनके बर्ताव से परेशान रहते थे
गोविंदा ने फिल्म उद्योग में अपनी शुरुआत 1986 में फिल्म इल्ज़ाम से की थी और तब से उन्होंने दुल्हे राजा, सैंडविच, बड़े मियां छोटे मियां, भागम भाग, हीरो नंबर 1, और कई अन्य जैसी 165 से अधिक फिल्मों में काम किया है।
हालांकि, वर्ष 2000 के बाद उनके करियर में गिरावट शुरू हो गई क्योंकि उन्होंने ज्यादा डिस्कवरी नहीं की। वह भारत के सबसे वर्सेटाइल अभिनेताओं में से एक हैं, फिर भी उन्होंने अपनी बहुमुखी प्रतिभा का लाभ उठाने की कोशिश करने के बजाय वही पुरानी चीजें करना पसंद किया। बदलते माहौल में गोविंदा के गैर-पेशेवर व्यवहार ने उनके करियर को बर्बाद कर दिया।
कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक, वह सेट पर हमेशा लेट हो जाते थे। उन्होंने फिल्म निर्माण के हर पहलू में दखल देना शुरू कर दिया, गलत लोगों को सुनना और उनकी बुरी सलाह देना शुरू कर दिया, और उन्होंने अपने अव्यवसायिक व्यवहार को नहीं बदलने की कोशिश भी नही की।उस वक्त डायरेक्टर डेविड धवन के साथ उनका रिश्ता दोस्ती की मिसाल था, लेकिन गोविंदा ने उनसे नाता तोड़ लिया, जिसने उन्हें एक पारिवारिक एक्टर से जनता का फेवरेट बना दिया था। रिपोर्टों में कहा गया है कि गोविंदा वही पुरानी चीजें और कैरेक्टर्स निभाते रहे।
वह सेट पर लेट पहुंचते थे। उस टाइम सारे फिल्म स्टार्स सेट पर देर से आते थे, लेकिन नए युग के सिनेमा के आगमन के साथ, फिल्मों का बिजनेस अधिक ऑर्गेनाइज्ड हो गया लेकिन समय बीतने के साथ गोविंदा नहीं बदले। जबकि उनके कई साथियों ने बदलाव को देखा और खुद को बदला, लेकिन गोविंदा अभी भी केवल मुख्य पात्रों को निभाने में रुचि रखते थे।
सिनेमा के बदलते हुए रूप के साथ कहानियां और डिमांड भी बदलते गए और गोविंदा जैसे टैलेंटेड अभिनेता इंडस्ट्री से गायब हो गए।