‘कला’ से शानदार शुरुआत करने के बाद बाबिल एक बार फिर ओटीटी प्लेटफॉर्म पर नजर आ रहे हैं। बाबिल अपने पिता दिवंगत अभिनेता इरफान खान की राहों पर चलते हुए फैंस को अपनी ऐक्टिंग से दीवाना बनाना बखूबी जान गए हैं। आज 1 सितंबर को उनकी फिल्म ‘फ्राइडे नाइट प्लान’ नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीम हो गई है। चलिए जानते हैं कैसी है यह फिल्म!
क्या है फिल्म की कहानी?
फ्राइडे नाइट प्लान की कहानी मुख्य रूप से दो भाईयों के बारे में हैं। बड़ा भाई सिड (बाबिल) पढ़ाई लिखाई में तेज होता है, जिसे सभी किताबी कीड़ा कहते हैं। वहीं उसका छोटा भाई आदि (अमृत जयन) एकदम शरारती है। दोनों भाई एक-दूसरे से बेहद प्यार करते हैं लेकिन घर पर वे हमेशा एक-दूसरे से लड़ते झगड़ते रहते हैं। सिड को पढ़ाई के अलावा स्पोर्ट्स में भी काफी दिलचस्पी होती है। एक दिन स्कूल में फुटबॉल में शानदार गोल करके वह सभी की नजरों में हीरो बन जाता है। हरतरफ सिर्फ उसी की चर्चा होने लगती है। इसी बीच स्कूल के स्टूडेंट साल की सबसे मजेदार पार्टी प्लान करते हैं। वहीं सिड और आदि की मां (जूही चावला) को एक जरूरी काम की वजह से बाहर जाना पड़ता है। वह दोनों को समझाकर घर पर अकेले छोड़कर जाती है। लेकिन फिर भी दोनों भाई मां के जाने के बाद पार्टी में शामिल होने की योजना बनाते हैं। अब मां के जाने के बाद क्या दोनों भाई पार्टी में शामिल हो पाएंगे? फ्राइडे नाइट में उनके साथ क्या होता है? यह देखने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी।
कैसी है कलाकारों की एक्टिंग?
बाबिल खान एक स्कूली बच्चे के किरदार में काफी जच रहे हैं। उन्होंने स्कूली अच्छे के साथ साथ खिलाडी और मां के लाड़ले का किरदार शानदार तरीके से निभाया है। वहीं जूही चावला की बात करें तो वह एक ऐसी एक्ट्रेस रही हैं, जो हमेशा दर्शकों को अपनी अदाकारी से हैरान कर देती है। हर बार उनकी स्क्रीन प्रजेंस में कुछ नया देखने को मिलता है। अमृत जयन ने भी अपने किरदार के हिसाब से बढ़िया काम किया है। छोटे भाई के रूप में अपने चुलबुले और शरारती अंदाज से वह दर्शकों को काफी पसंद आएंगे।
निर्देशन
वत्सल नीलकांतन की यह डेब्यू फिल्म है, जिसे उन्होंने अपने स्कूली अनुभव से बेहतरीन बनाने की भरपूर कोशिश की है। नीलकांतन का निर्देशन फिल्म में एक गतिशील ऊर्जा भर देता है जो दर्शकों को शुरू से अंत तक बांधे रखता है।
रिव्यू
फ्राइडे नाइट प्लान एक ऐसी फिल्म है जो याद दिलाती है कि हमें ऐसी कहानियों की ज़रूरत है जो आसान हों और हमें उन कहानियों के बीच सहज महसूस कराएं जो हमें ‘आश्चर्यचकित’ कर दें और आगे बढ़ें। फिल्म का संगीत संभवतः धीमी गति से चलता है जिसे विकसित होने में कुछ समय लगेगा, लेकिन यह निश्चित रूप से दिलचस्प है और ऐसा कुछ नहीं जिसे कोई नजरअंदाज कर सके।
फिल्म प्रासंगिक और मनोरंजक होने के बावजूद, यह केवल एक बार देखने के लिए ही अच्छी है। जबकि फिल्म हल्के-फुल्केपन को अच्छे तरीके से बताने का प्रयास करती है, इन दोनों के बीच संतुलन कभी-कभी ऊपर नीचे लगता है। कॉमिक सीन और गहन चिंतन के बीच बदलाव सहज हो सकते थे, जिससे फिल्म की भावनात्मक गूंज बढ़ सकती थी। कुल मिलाकर कहा जाए तो फिल्म ठीक है लेकिन इसे और बेहतर बनाया जा सकता था।
रेटिंग 2/5