बॉलीवुड के कुछ गाने ऐसे भी हैं जिन्हें किसी मशहूर शायर या कवि की कविता या ग़ज़ल से लिया गया है और धुन बनाकर गाने के रूप में रीक्रिएट किया गया है। आइए जानें ऐसे हीं कुछ कविताओं से लिए गए नए पुराने गानों के बारे में:
1. कभी कभी मेरे दिल में, ख़याल आता है
के जैसे तुझको बनाया गया है मेरे लिये ( कभी कभी, 1976)
कभी कभी मेरे दिल में ख्याल आता है… फिल्म में अमिताभ बच्चन द्वारा सुनाई गई यह कविता साहिर लुधियानवी की पहली कविता “तल्खियां” (1943) का हिस्सा थी। यश चोपड़ा ने इसे एक गाने के रूप में अपनी फिल्म का हिस्सा बनाया। फिल्म का नाम ‘कभी कभी’ भी इसी कविता से लिया गया था।
2. गुलों में रंग भरे बाद-ए-नौबहार चले,
चले भी आओ के गुलशन का कारोबार चले। ( हैदर, 2014)
इस ग़ज़ल के कुछ हिस्सों को लेकर गुलज़ार ने फिल्म हैदर के लिए गाना लिखा। फ़ैज़ अहमद ‘फ़ैज़’ एक क्रांतिकारी शायर थे और अक्सर अपने विचारों के लिए जेल भी गए। उन्होंने इस ग़ज़ल को हैदराबाद, सिंध (पाकिस्तान) की जेल में लिखा था। ग़ज़ल में उनके अकेलेपन और प्रेमिका से मिलने की इच्छा को दर्शाया गया है।
3. तू किसी रेल-सी गुज़रती है
मैं किसी पुल-सा थरथराता हूँ (मसान, 2015)
यह फ़िल्म मसान का गीत है जिसे दुष्यंत कुमार की ग़ज़ल से लिया गया है। इस गाने को वरुण ग्रोवर ने लिखा है, उन्होंने ग़ज़ल की शुरुआती लाइन ली और फिल्म की कथा के अनुरूप बाकी गाने पर फिर से काम किया। आज भी ये गाना लोगों की जुबान पर रहता है।
4. इक्क कुड़ी जिदा नाम मोहब्बत
गुम है, गुम है, गुम है… (उड़ता पंजाब, 2016)
“एक कुड़ी” पंजाबी कवि शिव कुमार बटालवी का पुराना पंजाबी गाना है। फिल्म उड़ता पंजाब में इस कविता को धुन से सजाया गया है। कविता के इस नए वर्जन को दिलजीत दोसांझ ने अपनी आवाज दी है।
रांझा रांझा सद्दो नी मैनू हीर ना आखो कोई (रावण, 2010)
‘रांझा रांझा करदी वे मैं’ यह बोल सूफी कवि बुल्लेशाह की कविता से लिया गया है। इस फिल्म में कविता के शुरुआती पंक्तियों को लेकर गुलज़ार ने बाकी गीत फिल्म की कहानी के अनुसार खुद लिखा है।