‘एक बंदा काफी है’ समीक्षा और रेटिंग

  • June 7, 2023 / 02:59 PM IST

Cast & Crew

  • मनोज बाजपेई (Hero)
  • प्रियंका सेतिया (Heroine)
  • अदरिजा सिन्हा, विपिन कुमार शर्मा, जयहिंद कुमार, दुर्गा शर्मा, सूर्य मोहन कुलक्षेत्र (Cast)
  • अपूर्व सिंह कर्की (Director)
  • ज़ी स्टूडियो, भानुशाली स्टूडियो लिमिटेड (Producer)
  • संगीत-सिद्धार्थ हल्दीपुर, बोस (Music)
  • अर्जुन कुकरेती (Cinematography)

मनोज बाजपेयी अभिनीत फिल्म सिर्फ ‘एक बंदा काफी है’ 23 मई को जी5 पर रिलीज हो चुकी है। यह एक कोर्टरूम ड्रामा है जिसे 2013 के आसाराम बापू के खिलाफ हुए रेप केस पर बनाया गया है। इस फिल्म में मनोज बाजपेयी ने वकील पीसी सोलंकी का किरदार निभाया है जो आसाराम बापू के खिलाफ केस लड़े थे।

क्या है फिल्म की कहानी?

फ़िल्म की कहानी वकील पीसी सोलंकी की है, जिन्होंने 2018 में आशाराम बापू को एक नाबालिग के साथ बलात्कार करने के जुर्म में जेल भिजवाया था। यह फ़िल्म पीसी सोलंकी के साहस, और समझ की कहानी दिखाती है। इस फ़िल्म में बाबा का नाम दूसरा रखा गया है, लेकिन वकील का नाम पीसी सोलंकी ही रखा गया है। फिल्म की कहानी वकील पीसी सोलंकी की पांच साल के लम्बी लड़ाई को दिखाती है। 5 साल लंबी लड़ाई के बाद पीसी सोलंकी बाबा को जेल के सालाखों तक पहुंचा पाए थे। इस धारण पीसी सोलंकी को केस से हटाने के लिए साम, दाम, दंड और भेद सभी का इस्तेमाल किया गया, लेकिन सोलंकी सच के साथ डटे रहें। पीसी सोलंकी के इसी साहस और जज्बा को फिल्म की कहानी में दिखाया गया है।

कैसी है एक्टिंग?

मनोज बाजपेई हिंदी सिनेमा के उम्दा कलाकारों में से एक हैं। उन्होंने बीते कुछ समय में ओटीटी में अपने अभिनय से जमकर वाहवाही बटोरी है। इस फिल्म में भी मनोज बाजपेई पीसी सोलंकी के किरदार को उन्होने पूरी बारीकी के साथ जिया है और स्क्रीन तक पहुंचाया है। फिल्म में डायलॉग से लेकर बॉडी लैंग्वेज तक सभी किरदार ने अच्छी एक्टिंग की है। अदिति सिंह अंद्रीजा ने भी अच्छी एक्टिंग की हैं, उन्होंने अपने किरदार से जुड़े दर्द और आक्रोश दोनों को बखूबी बयां किया है। बाकी किरदारों ने भी अपनी-अपनी भूमिकाओं के साथ न्याय किया है।

क्या खास है इस फिल्म में?

यह फिल्म एंटरटेनमेंट का मजा तो देती है साथ साथ यह फिल्म पॉक्सो कानून की बारीकियों के बारे में भी जानकारियां देती है। यह फिल्म बच्चों के यौन शोषण को लेकर भी जागरूकता फैला रही है। 2012 में हुई ब्लातकार की घटना के बाद यह कानून बनाई गई है जो यौन शोषण को रोक थाम के लिए बनाया गया है। इस फिल्म को देखने के बाद देश की हर बच्ची और उनके अभिभावकों को पोक्सो कानून की जानकारी मिलेगी और साथ ही साथ यह फिल्म जागरूकता फैला रही है।

कैसी है फिल्म की निर्देशन?

इस फिल्म का निर्देशन अपूर्व सिंह कार्की ने किया है। फिल्म में उनका डायरेक्शन सटीक है, और इस फिल्म में उनके काम को सबसे बेहतरीन काम कहा जा सकता है। इस फिल्म में उन्होंने बहुत सिंपल तरीक से जबरदस्त कहानी कही है।

रिव्यु

मनोज बाजपेयी पीसी सोलंकी की भूमिका में पूरी फिल्म को बांधे रखते हैं। मनोज बाजपेई अपने काम और अपने घर दोनों को बैलेंस करते दिखाई दे रहे हैं। पीसी सोलंकी और उनके बेटे का बॉन्डिंग काफी खूबसूरत लगता है। पीसी सोलंकी का मजाकिया किरदार अचानक बदल जाता है जब बाबा के नुमाइंदे उसके लिये 20 करोड़ की रिश्वत लाते हैं और वह उन्हें बुरी तरह जलील करके भगा देता है।

पीडिता का पिता जब केस लेकर पीसी सोलंकी के पास आता और फीस के लिए पूछता है वह सिर्फ ‘बिटिया की मुस्कान’ मांगता है, यह सीन मन को छू जाता है। नू के किरदार में अद्रीजा सिन्हा ने भी जबरदस्त भूमिका निभाई है।
इस फिल्म को जरूर देखा जाना चाहिए, ताकि धार्मिक बाबाओं के नकाब में अश्लील हरकत करने वाले बेनकाब हो पाएं। आज के समय के लिये यह बहुत जरूरी फिल्म है। यह फिल्म बहुत ही साधारण तरीके से हमारे समाज में मौजूद अंधविश्वास के साथ साथ हमारे समाज की एक घटिया सच्चाई को दिखाता है।

रेटिंग: 3/5

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