ओटीटी प्लेटफॉर्म जी5 पर क्राइम थ्रिलर वेब सीरीज ‘बंबई मेरी जान’ आज रिलीज हो चुकी है। यह सीरीज 1970 के दशक में बॉम्बे में तेजी से बढ़ते माफिया शासन की कहानी बताती है। सीरीज में केके मेनन और अविनाश तिवारी मुख्य भूमिका में हैं। चलिए जानते हैं कैसी है सीरीज!
क्या है सीरीज की कहानी?
‘बंबई मेरी जान’ की कहानी माफिया और पुलिस के बीच लड़ाई से शुरू होती है। जहां पुलिस विभाग के सभी अधिकारी शहर के माफिया हाजी मकबूल (सौरभ सचदेव) से मिले हुए हैं। तो इस्माइल (केके मेनन) एक ईमानदार पुलिस अधिकारी के रूप में उभरता है। वे मजबूत इरादों के साथ हाजी मकबूल के सभी कानूनी व्यवसायों को बंद करना शुरू कर देते हैं। इस्माइल भी अपने ऑपरेशन में सफल होने लगता है, लेकिन एक दिन एक दुर्घटना के कारण उसे निलंबित कर दिया जाता है।
अब आगे इस्माइल अपनी नौकरी वापस ले पाता है या नहीं, घर चलाने के लिए उसे किस किस तरह के हालातों से गुजरना पड़ता है, यह सब जानने के लिए देखें अमेजन प्राइम पर बंबई मेरी जान!
कैसी है कलाकारों की एक्टिंग?
इस सीरीज में कई बेहतरीन कलाकार हैं, इस्माइल कादरी के किरदार में केके मेनन हैं। उन्होंने इस किरदार को बखूबी जिया है और परदे पर उतारा है। केके का एक्टिंग वाकई काबिलेतारिफ है। फिर गैंगस्टर के किरदार में अविनाश तिवारी ने भी बहुत अच्छी एक्टिंग की है, उन्होंने सीरीज खाकी – द बिहार चैप्टर से ही अपनी अदाकारी दिखा चुके हैं। हबीबा के किरदार में कृतिका कामरा ने भी अच्छी एक्टिंग की है। बाकी कलाकारों ने भी अच्छा परफॉर्म किया है।
कैसा है निर्देशन?
इस सीरीज के निर्देशन की कमान शुजात सौदागर ने अपने हाथों में रखी है, क्राइम ड्रामा दिखाने के लिए उन्होंने अच्छी कोशिश की है। हालांकि कहीं कहीं निर्देशन थोड़ा भटका हुआ लगता है, लेकिन सीरीज की कहानी बहुत अच्छी है जो इसे बांध कर रखती है। इस सीरीज को मशहूर क्राइम जर्नलिस्ट और एस हुसैन जैदी ने लिखा है, तो सीरीज के अच्छे होने का श्रेय उन्हें ही देना बेहतर होगा।
रिव्यू
10 एपिसोड की यह सीरीज केके मेनन के वाइस ओवर के साथ आगे बढ़ती जाती है। सीरीज में 40 से लेकर 80 दशक के दौर का बंबई दिखाया गया है। इस दौरान कई गैंगस्टर फले थे और मुंबई कई खुनखराबा देख चुका था। सीरीज के पहले दो एपिसोड की कहानी इस्माईल कादरी की अंडरवर्ल्ड से लड़ाई की दिखाई गई है। हालांकि, सीरीज कई जगह आपको घिसा पिटा नजर आता है। पहले दो एपिसोड में केके मेनन ही सीरीज को बांधे रखते हैं।
फिर तीसरे एपिसोड से कहानी आगे बढ़ती है। कहानी बहुत जगह आपको घिसा पिटा नजर आएगा। सीरीज को 80 के दशक का दिखाने के लिए प्रोडक्शन विभाग ने अच्छा काम किया है। सीरीज में गाली का भरपूर इस्तेमाल किया गया है, हालांकि वो भी कई जगह बेवजह नजर आता है। कुल मिलाकर कहा जाए तो सीरीज की कहानी से कहीं ज्यादा अच्छी कलाकरों की एक्टिंग है, वैसे कहानी भी अच्छी है।
रेटिंग 2/5