निर्देशक “सुधीर मिश्रा” की फिल्म कठोर समाज के प्रति हमारे दृष्टिकोण को बदलने में बेहद प्रमुख भूमिका निभाती है।
1.इस रात की सुबह नहीं (1996)
सुधीर मिश्रा की फिल्म “इस रात की सुबह नहीं” एक कॉर्पोरेट युवक की दुर्दशा का वर्णन करती है, जिसका सामान्य जीवन एक रात अस्त-व्यस्त हो जाता है जब उसकी पत्नी, पूजा को उसके अफेयर के संबंध के बारे में पता चलता है और तनाव पैदा हो जाता है। फिल्म की मुख्य भूमिका में निर्मल पांडे, स्मृति मिश्रा एंव तारा देशपांडे है।
2. ये वो मंजिल तो नहीं (1987)
तीन बूढ़े लोग, शमशेर सिंह , अख्तर बेग और मुरली मनोहर जोशी ( पूर्व कॉलेज मित्र हैं। वे चालीस साल बाद, अपने बोर्डिंग स्कूल में शताब्दी समारोह की पूर्व संध्या पर, बॉम्बे से रायपुर तक ट्रेन से यात्रा करते हैं। जैसे-जैसे यात्रा आगे बढ़ती है, वे आपस में अपने छात्र दिनों के उस सुनहरे दौर के बारे में चर्चा करते हैं जब वे असामाजिक गतिविधियों में शामिल थे। नॉस्टैल्जी की यादों में गुजरती हुई इस फिल्म के मुख्य भूमिका में मनोहर सिंह ,हबीब तनवीर, बीएम शाह नजर आऐ है।
3. मैं जिंदा हूं (1988)
सुधीर मिश्रा की फिल्म “मैं जिंदा हूँ” एक गाँव की लड़की बीना की कहानी बताता है, जिसकी शादी आलोक से हो जाती है। उसका नवविवाहित पति अपनी नवविवाहित पत्नी के साथ-साथ अपने परिवार के प्रति भी अपने कर्तव्य से भाग जाता है। बीना के ससुराल वाले उसे अपनी बहू के रूप में स्वीकार करने से कतराते हैं। लेकिन जैसे-जैसे वह आजीविका कमाने लगती है और ससुराल वालों का समर्थन करने लगती है, उसे परिवार में स्वीकृति मिल जाती है।
फिल्म की मुख्य भूमिका में दीप्ति नवल, आलोक नाथ नजर आऐ है।
इस फिल्म में दीप्ति नवल ने अपने फ़िल्मी करियर का सबसे बेहतरीन प्रदर्शन किया है।
4. धारावी (1991)
सुधीर मिश्रा की फिल्म “धारावी” एक टैक्सी ड्राइवर राज करण यादव की कहानी है, जिसने छोटी-छोटी किश्तों में भुगतान करके एक टैक्सी खरीदी है। वह दुनिया की सबसे बड़ी झुग्गी धारावी में एक छोटे से मकान में अत्यंत गरीबी और अभावग्रस्त परिस्थितियों में रहता है। उनकी पत्नी कुमुदभी परिवार के लिए पैसे कमाती हैं। फिल्म के मुख्य भूमिका में ओमपुरी एवं शबाना आजमी नजर आए है।
5. कलकत्ता मेल (2003)
सुधीर मिश्रा की फिल्म कलकत्ता मेल , “गुनासेकर” द्वारा निर्देशित सफल तेलुगु फिल्म चूडालानी वुंडी (1998) की रीमेक है। फिल्म की कहानी एक पिता, अविनाश की है, जो अपने बेटे इशू की तलाश में कलकत्ता शहर में आता है और उसे एक अपराधी लाखन यादव (सयाजी शिंदे) को ढूंढना पड़ता है।
इस फिल्म की मुख्य भूमिका में अनिल कपूर, सयाजी शिंदे एवं मनीषा कोइराला नजर आ चुके हैं।
6. चमेली (2003)
सुधीर मिश्रा की फिल्म चमेली एक स्थिति से परिचित कराती है जहां एक वेश्या, चमेली एक बैंकर, अमन कपूर से एक बरसात की रात में मिलते हैं और भारी बारिश के कारण काफी समय तक साथ रहते हैं। साल 2004 में इस फिल्म ने दो फिल्मफेयर अवॉर्ड जीते थे. फिल्म की मुख्य भूमिका में करीना कपूर और राहुल बोस है।
7. सीरीयस मैन (2020)
मनु जोसेफ के इसी नाम के उपन्यास पर आधारित यह फिल्म अय्यन मणि (नवाजुद्दीन सिद्दीकी) की कहानी बताती है जो नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च में अंतरिक्ष वैज्ञानिक डॉ. अरविंद आचार्य (नासिर) के निजी सहायक के रूप में काम करता है।अपनी सामाजिक स्थिति से परेशान होकर, एक पिता अपने बेटे की एक प्रतिभाशाली लड़के के रूप में मिली नई प्रसिद्धि का फायदा उठाने का प्रयास करता है।
8. हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी (2005)
‘हजारों ख्वाहिशें ऐसी’ छात्र कट्टरवाद के उदय और कैसे विश्वविद्यालय गंभीर राजनीतिक बहस के केंद्र बन गए, का वर्णन करती है। तीन नायक, सिद्धार्थ तैयबजी , गीता राव , और विक्रम मल्होत्रा , समय की भावना को दर्शाते हैं। फिल्म की मुख्य भूमिका में के के मेनन, चित्रांगदा सिंह एंव शाईनी आहूजा नजर आऐ है।
9. खोया खोया चांद (2007)
50 और 60 के दशक के हिंदी फिल्म उद्योग के बीते युग की नॉस्टेलजिक यात्रा फिल्म की कहानी एक अभिनेत्री निखत की व्यक्तिगत और व्यावसायिक यात्रा का पता लगाती है। फिल्म भावनात्मक रूप से निखत को एक ऐसे व्यक्ति के रूप में चित्रित करने में सफल होती है जो शायद बहुत पसंद नहीं थी लेकिन फिर भी सहानुभूति, सम्मान, प्रशंसा और विस्मय की पात्र थी।
फिल्म की मुख्य भूमिका में सोहा अली खान नजर आयी है।
10. इंकार (2013)
यौन उत्पीड़न के मुद्दे को समाज के बीच रखते हुऐ यह फिल्म एक स्त्री की आवाज को बल देती है जो अपने सह कर्मी पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाती है। यह फिल्म सत्ता के दुरुपयोग, विशेषाधिकार की गतिशीलता और हेरफेर पर प्रकाश डालते हुए, सहमति से सेक्स के संवेदनशील मुद्दे को भी उठाती है।
फिल्म की मुख्य भूमिका में चित्रांगदा सिंह एंव अर्जुन रामपाल नजर आऐ है।